शनिवार, 23 जून 2018

उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2016. धारा 38

उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2016
                  धारा 38
       गलती और लोप का सुधार
 1)  नक्शा खसरा या अधिकार अभिलेख खतौनी मैं किसी गलती और लोप के सुधार के लिए प्रार्थना पत्र तहसीलदार को बिहित रीति से दिया जाएगा।

  2) उपधारा 1 के अधीन प्रार्थना पत्र प्राप्त होने पर या अन्यथा उसकी जानकारी में प्राप्त किसी गलती या लोप होने पर तहसीलदार ऐसी जांच करेगा जो उसे आवश्यक प्रतीत हो और नक्शा में संशोधन संबंधी मामलों को अपनी रिपोर्ट के साथ कलेक्टर को तथा अन्य संशोधन संबंधी मामले को अपनी रिपोर्ट के साथ उप जिलाधिकारी को निर्दिष्ट करेगा ।

  3) कलेक्टर या उप जिलाधिकारी जैसी भी स्थित हो द्वारा अपने  समक्ष  दाखिल या तहसीलदार के समक्ष दाखिल किसी आपत्ति एवं प्रस्तुत किए गए साक्ष्य पर विचार करने के पश्चात मामले का निर्णय किया जाएगा।।

   4) उपधारा 3 के अधीन कलेक्टर या उप जिलाधिकारी जैसी भी स्थित हो के किसी आदेश द्वारा व्यथित कोई व्यक्ति आयुक्त को ऐसे आदेश के दिनांक से 30 दिन के भीतर अपील कर सकता है और आयुक्त का निर्णय अंतिम होगा।

   5) नक्शा खसरा या अधिकार अभिलेख खतौनी की कोई फर्जी यया छल साधित  प्रविष्टि को इस धारा के अंतर्गत खारिज किया जा सकता है।

   6) इस संहिता  के अन्य प्रावधानों में किसी बात के होते हुए भी राजस्व निरीक्षक अधिकार अभिलेख तथा खसरा की किसी अविवादित त्रुटि या लोप को ऐसी रीत से और ऐसी जांच जो बिहित की जाए, करने के बाद ठीक कर सकेगा।।

उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2016 धारा 37

कतिपय वादों का विवर्जन:--
उत्तराधिकार या अंतरण द्वारा किसी भूमि का कब्जा प्राप्त करने के किसी व्यक्ति के आवेदन पर किसी राजस्व न्यायालय में कोई बात या अन्य कार्यवाही तब तक नहीं होगी जब तक कि उसने यथास्थिति धारा 33 या धारा 34 के अधीन रिपोर्ट न की हो।।

उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2016 धारा 36

 उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2016 धारा 36
अंतरण की सूचना और भू-राजस्व जमा करना:-

 धारा 34 में किसी बात के होते हुए भी जहां भूमि पर किसी हक या भार को बनाने समनुदेशित करने या निर्वापित करने के लिए या जिस के संबंध में अधिकार अभिलेख खतौनी बनाने के लिए तात्पर्रियत कोई दस्तावेज रजिस्ट्रीकरण अधिनियम 1908 के अधीन रजिस्ट्री कृत कराया गया है तो रजिस्ट्रीकरण अधिकारी उस तहसीलदार को जिस की अधिकारिता में वह भूमि स्थित है ऐसे प्रपत्र में और ऐसी समय सीमा में जेसी बिहित की जाए सूचना भेजेगा ।।

 2)इस अध्याय में किसी बात के होते हुए भी धारा 32 के अधीन अभिलेखों के सुधार के लिए कोई आदेश और धारा 33 के अधीन उत्तराधिकार अभि लिखित करने के लिए कोई आदेश और धारा 35 के अधीन अधिकार अभिलेख खतौनी में कोई संसोधन और धारा 38 के अधीन कोई सुधार तब तक अभिलिखित नहीं किया जाएगा जब तक उसे ऐसा आदेश संबंधित है के संबंध में अद्यतन देय भू राजस्व की धनराशि जमा न कर दी जाए।।





उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2016 धारा 35

अंतरण के मामलों में नामांतरण:--

  (1)धारा 33 या  धारा 34 के अधीन किसी रिपोर्ट या तथ्य की जानकारी प्राप्त होने पर तहसीलदार एक उद्घोषणा जारी करेगा और ऐसी जांच करेगा जैसी आवश्यक प्रतीत हो और ,

(क) यदि मामला विवादित नहीं है तो वह अधिकार अभिलेख खतौनी को तदनुसार संशोधित करने का निर्देश देगा
(ख) निरसित
(ग) यदि मामला विवादित है तो वह विवाद का निपटारा करेगा और अधिकार अभिलेख खतौनी को तदनुसार यदि आवश्यक हो संशोधित करने का निर्देश देगा ।

   (2)उप धारा 1 के अधीन तहसीलदार के आदेश से व्यथित कोई व्यक्ति ऐसे आदेश के दिनांक से 30 दिन के भीतर उप जिला अधिकारी को अपील कर सकता है

उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2016 धारा 34

अंतरण के मामलों में रिपोर्ट करने का कर्तव्य:-

 (1) धारा 33 की उप धारा 3 में विनिर्दिष्ट किसी अंतरण से भिन्न अंतरण द्वारा किसी भूमि पर कब्जा प्राप्त करने वाला प्रत्येक व्यक्ति ऐसे अंतरण की रिपोर्ट उस तहसील के तहसीलदार को बिहित रीति से देगा जिसमें भूमि स्थित है ।

           स्पष्टीकरण:-- इस धारा के प्रयोजनार्थ शब्द अंतरण के अंतर्गत कोई पारिवारिक बंदोबस्त भी है।

  (2) राज्य सरकार इस अध्याय के अंतर्गत अधिकार अभिलेख में अंतरण के आधार पर प्रविष्ट कराने के लिए शुल्क का मानक नियत कर सकती है ऐसी किसी प्रविष्ट के संबंध में देय शुल्क  का भुगतान उस व्यक्ति द्वारा किया जाएगा जिसके पक्ष में प्रविष्टि की जानी है।।

उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2016 धारा 3 3

 उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2016
                धारा-33
  उत्तराधिकार के मामलों में नामांतरण
  1) उत्तराधिकार द्वारा कृषि भूमि पर कब्जा प्राप्त करने वाला प्रत्येक व्यक्ति उस हलके के जिसमें भूमि स्थित है राजस्व निरीक्षक को ऐसे उत्तराधिकार के संबंध में यथा विहित प्रपत्र में रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा ।।।

   2) उपधारा 1 के अधीन  रिपोर्ट प्राप्त करने पर या उसके संज्ञान में अन्यथा तथ्य आने पर राजस्व निरीक्षक
   ( क )यदि मामला विवादग्रस्त नहीं है तो ऐसे उत्तराधिकार को अधिकार अभिलेख खतौनी में अभिलिखित करेगा ;
   (ख) किसी अन्य मामले में ऐसी जांच करेगा जैसी उसे आवश्यक प्रतीत हो और वह अपनी रिपोर्ट तहसीलदार को प्रस्तुत करेगा ।

  3) कोई व्यक्ति जिसका नाम राजस्व निरीक्षक द्वारा अभिलेख न किया गया हो या जो (उपधारा 2 के खण्ड क या ख के अधीन ) राजस्व निरीक्षक द्वारा पारित किए  गए आदेश द्वारा व्यथित हो वह तहसीलदार के समक्ष आवेदन प्रस्तुत कर सकता है
 4) इस धारा के उपबंध  यथावश्यक परिवर्तन सहित ऐसे प्रत्येक व्यक्ति पर लागू होंगे जिसे इस संहिता के उपबंधों या इसके द्वारा निरसित किसी अधिनियम के अनुसार भूमि प्रबंधक समिति द्वारा असंक्रमणीय अधिकार युक्त या आसामी स्वीकार किया गया है।।

उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2016 धारा 32

उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2016
                  धारा 32
      अभिलेखों को ठीक करना
   1) कलेक्टर के नियंत्रण के अधीन रहते हुए उप जिलाधिकारी तहसील या राजस्व निरीक्षक इस अध्याय में आगे उपबंधित रूप से अधिकार अभिलेख खतौनी क्षेत्र पंजी खसरा और मानचित्र में समस्त परिवर्तनों को जो घटित हो और ऐसे अन्य समस्त संव्यवहारों को जिनका किन्ही अभिलिखित अधिकारों या हितों पर प्रभाव पड़े अभिलिखित करेगा और उनमें किन्ही ऐसी गलतियों को ठीक करेगा जिनके बारे में यह साबित हो जाए कि वह पहले तैयार किए गए अभिलेख में की गई थी
【परंतु यह की नक्शा में संशोधन का आदेश कलेक्टर द्वारा पारित किया जाएगा 】
  2) उपधारा 1 के अधीन गलतियों को ठीक करने के लिए कोई आवेदन जहां दावा एक मात्र कब्जे पर आधारित हो और उसमें हक का जटिल प्रश्न अंतर ग्रस्त हो रखे जाने योग्य नहीं होगा।।

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