सोमवार, 6 अगस्त 2018

उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2016 धारा 45

अभिलेख या सर्वेक्षण क्रिया के दौरान अभिलेख अधिकारी की शक्ति :--

जहां कोई जिला या अन्य स्थानीय क्षेत्र अभिलेख या सर्वेक्षण क्रिया के अधीन हो वहां धारा 23 से 26 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग अभिलेख अधिकारी द्वारा किया जाएगा

उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2016 धारा 44

अभिलेख अधिकारी और सहायक अभिलेख अधिकारी
1) राज्य सरकार 1 अभिलेख अधिकारी नियुक्त कर सकती है जो अभिलेख प्रिया या सर्वेक्षण क्रिया या दोनों का प्रभारी होगा और उसने सहायक अभिलेख अधिकारी भी नियुक्त कर सकती है जिसने हुए उचित समझे
2) सहायक अभिलेख अधिकारी,  जब तक धारा 43 की उप धारा 1 उया उप धारा 2 के अधीन अधिसूचना प्रवृत्त रहे, इस संहिता द्वारा उसे प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करेगा और ऐसे अन्य कर्तव्यों का पालन करेगा जो अभिलेख अधिकारी द्वारा सौंपे जाएंगे ।।

उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2016 धारा 43

अभिलेख और सर्वेक्षण क्रिया की अधिसूचना:--

1) जब कभी राज्य सरकार की राय हो कि किसी जिले या अन्य स्थानीय क्षेत्र में अभिलेखों का पुनरीक्षण या पुनः सर्वेक्षण या दोनों आवश्यक हैं तो वह इस आशय की अधिसूचना प्रकाशित करेगी और उसके उपरांत ऐसा जिला या क्षेत्र यथास्थिति अभिलेख क्रिया या सर्वेक्षण क्रिया या दोनों के अधीन समझा जाएगा ।

2) राज्य सरकार गजट में अधिसूचना द्वारा आदेश दे सकती है कि आबादी या ग्राम आबादी की सर्वेक्षण क्रिया या अभिलेख क्रिया या दोनों बिहित रीति से की जाएंगी ।

3)राज्य सरकार अनुवर्ती अधिसूचना द्वारा उप धारा 1या उपधारा 2 के अंतर्गत जारी की गई अधिसूचना को संशोधित या रद्द कर सकती है या उस क्रिया को समाप्त घोषित कर सकती है।।

उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2016 धारा 42

सूचना या दस्तावेज प्रस्तुत करने का कर्तव्य:--

प्रत्येक व्यक्ति जिसके अधिकार हित या बाध्यता का इस अध्याय के अधीन रखे गए किसी अभिलेख या रजिस्टर में प्रविष्ट किया जाना अपेक्षित हो या उनकी प्रविष्टि कर ली गई हो ऐसे अभिलेख या रजिस्टर के संकलन या पुनरीक्षण कार्य में लगे हुए किसी राजस्व अधिकारी के अधियाचन पर उसके निरीक्षण के लिए सही संकलन या पुनरीक्षण के लिए आवश्यक ऐसी समस्त सूचना या दस्तावेज जो उसकी जानकारी कब्जे या शक्ति में हो ऐसे समय के भीतर जो भी  निर्दिष्ट किया जाए देने या प्रस्तुत करने के लिए बाध्य होगा।।

उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2016 धारा 41

किसान बही
1)  हर बार इस अध्याय के अधीन जब अधिकार अभिलेख खतौनी तैयार की जाए तो कलेक्टर यथाशीघ्र हर खातेदार को एक किसान वही उपलब्ध कराएगा इसमें ऐसा विवरण होगा जो बिहित किया गया हो ।
2) किसान बही किसान के द्वारा समस्त जिले में धारण की गई समस्त भूमि की समेकित जोत बही होगी ।
3) संयुक्त जोत की स्थिति में इस धारा के प्रयोज्य के लिए ऐसे एक या अधिक सह खातेदारों को किसान बही दी जाएगी जो इसके लिए आवेदन करें।
4) किसान भाई के लिए खातेदार ऐसा मूल्य देने के लिए उत्तरदाई होगा जो निश्चित किया गया हो ।
5) किसान वहीं रहने वाला प्रत्येक खातेदार समय-समय पर अधिकार अभिलेख खतौनी में किए गए परिवर्तनों को प्रविष्ट कराने का हकदार होगा।।
6) जब भी कोई बैंक या अन्य वित्तीय संस्था किसी किसान को किए गए प्रत्यावेदन के आधार पर ऋण प्रदान करता है कि वह जोतबही में जोत का धारक है तो ऐसे दिए गए ऋण को किसान बही में पृष्ठांकित करवाएगा।।
7) जब खातेदार को किसी बैंक का वित्तीय संस्था से कोई ऋण मिलता है तो खातेदार बैंक को एक ऐसा शपथ पत्र देगा कि जोत बही में अंकित जोत पर किसी अन्य बैंक या वित्तीय संस्था से उसने ऋण नहीं लिया है तथा उसने जोत बही में अंकित समस्त जोत अथवा जोत का एक अंश किसी अन्य व्यक्ति को अंतरित नहीं किया है ।।
8) जब खातेदार द्वारा ऐसा शपथ पत्र दिया जाता है और शपथ पत्र में कोई ऐसा कथन दिया गया हो जो असत्य हो अथवा सत्य होने की आशंका हो तो ऐसे आज असत्य कथन को देने पर खातेदार को एक ऐसी अवधि के लिए कारावास का प्रावधान है जो 3 वर्षों तक हो सकता है और आर्थिक दंड भी लगाया जा सकता है।।
9) ऐसे बैंक अथवा वित्तीय संस्था ऋण के पुनर्भुगतान या अंतिम भुगतान को किसान बही में पृष्ठांकित करेगी।।

सूचना अथवा दस्तावेज प्रस्तुत करने का कर्तव्य प्रत्येक व्यक्ति अथवा खातेदार ऐसी समस्त सूचनाओं या दस्तावेजों को किसी राजस्व अधिकारी को देने के लिए बाध्य होगा जो किसी कार्य में लगे हुए राजस्व अधिकारी कर्मचारी के मांगने पर  पुनरीक्षण के लिए आवश्यक हो।।।।

उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2016 धारा 40


प्रविष्टियों के संबंध में उप धारणा:-

इस संहिता के उप बंधुओं के अनुसार तैयार किए गए अधिकार अभिलेख खतौनी में सभी प्रविष्ठियां सत्य आधारित की जाएगी जब तक कि इस के विरुद्ध साबित ना हो जाए

उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2016 धारा 39

राजस्व अधिकारियों के कतिपय आदेश बाद करने से विवर्जित नहीं करते :--

धारा 33 के अधीन राजस्व निरीक्षक या धारा 35 की उपधारा 1 के अधीन तहसीलदार द्वारा या धारा 38 की उप धारा 3 के अधीन उप जिलाधिकारी द्वारा या धारा 38 की उप धारा 4 के अधीन आयुक्त द्वारा पारित कोई आदेश किसी व्यक्ति को धारा 144 के अधीन बाद के माध्यम से भूमि पर अपना अधिकार स्थापित करने से भी विवर्जित नहीं करेगा ।।

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